• रतन टाटा: दिखावे से दूर एक शालीन उद्योगपति

    जेआरडी स्पष्ट रूप से करिश्माई थे लेकिन रतन टाटा अभी भी एक शालीन नेता के रूप में खड़े थे जिन्होंने आज की बड़बोली और तेजतर्रार व्यापारिक दुनिया में शिष्टता और समझदार तरीके को बनाए रखा था।

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    जगदीश रत्तनानी
    जेआरडी स्पष्ट रूप से करिश्माई थे लेकिन रतन टाटा अभी भी एक शालीन नेता के रूप में खड़े थे जिन्होंने आज की बड़बोली और तेजतर्रार व्यापारिक दुनिया में शिष्टता और समझदार तरीके को बनाए रखा था। एक ऐसे युग में जब व्यापारिक नेता सोशल मीडिया पर अनिवार्य रूप से बोलते हैं, अपनी भड़कीली रुचियों के बारे में बताते हैं या अपनी पहुंच और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं, तो ऐसे मामलों में रतन टाटा अलग थे।

    पद्म विभूषण रतन नवल टाटा का निधन टाटा समूह और भारतीय व्यापार व उद्योग की व्यापक दुनिया के लिए एक युग का अंत है। टाटा समूह का उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक नेतृत्व किया। टाटा समूह के प्रमुख के रूप में रतन टाटा का कार्यकाल उदारीकरण के युग के साथ का सह-टर्मिनस था जिसने भारतीय व्यापार परिदृश्य को नाटकीय रूप से बदल दिया और उसे साहसिक दांव, गहरे बदलाव और नई दिशाओं में ले गया। इनमें से कुछ भी आसान नहीं था, विशेष रूप से यह देखते हुए कि रतन टाटा को उस समूह को स्थानांतरित करने का काम सौंपा गया था जो हिंदू विकास दर की भारतीय कहानी का इतर हिस्सा था। उन्होंने इसे तेजी से आगे बढ़ाने और उच्च स्तर पर देखने की जिम्मेदारी उठाई।

    इसका मतलब था बदलाव करना। अर्थात रतन टाटा पहले टाटा कंपनी को पुराने नियंत्रण से मुक्त कर अपने पूर्ण नियंत्रण ले सकें और फिर संगठन को दायरे और आकार पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकें। दुनिया की सबसे सस्ती कार का निर्माण (या लोगों की कार, जैसा नैनो को कहा जाता था), सॉफ्टवेयर दिग्गज टीसीएस को सार्वजनिक करना, टेटली और जगुआर लैंड रोवर को खरीदना उनके करियर की कुछ झलकियां हैं जिन्होंने समूह को हिलाकर रख दिया लेकिन इसके बावजूद जहाज को स्थिर रखा।

    यह एक चुनौतीपूर्ण यात्रा थी। रतन टाटा शांति के साथ काम करना पसंद करते थे इसलिए इस यात्रा को इसके सभी विस्तार के साथ कभी भी पूरी तरह से नहीं बताया गया। अपने पूर्ववर्ती जेआरडी टाटा के आकर्षण और चुंबकत्व के बिल्कुल विपरीत रतन टाटा अपने पूरे जीवन में अंतर्मुखी बने रहे।

    जेआरडी स्पष्ट रूप से करिश्माई थे लेकिन रतन टाटा अभी भी एक शालीन नेता के रूप में खड़े थे जिन्होंने आज की बड़बोली और तेजतर्रार व्यापारिक दुनिया में शिष्टता और समझदार तरीके को बनाए रखा था। एक ऐसे युग में जब व्यापारिक नेता सोशल मीडिया पर अनिवार्य रूप से बोलते हैं, अपनी भड़कीली रुचियों के बारे में बताते हैं या अपनी पहुंच और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं, तो ऐसे मामलों में रतन टाटा अलग थे। वे हमेशा सुर्खियों से दूर और अलग-थलग रहे। लगभग बंद दरवाजों के पीछे उन्होंने अपने जीवन के 86 साल बिताये।

    टाटा समूह के जाने-माने इतिहासकार स्वर्गीय रूसी एम लाला ने एक बार बातचीत में कहा था- 'रतन टाटा के पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है,' और यह कि 'जेआरडी को रतन पर गर्व होगा।' लाला ने कहा था, 'कुछ अर्थों में यह हो सकता है या यह तर्क देना संभव है कि रतन ने जो हासिल किया है- बिना करिश्मे, व्यक्तित्व या जेआरडी के चुंबकत्व के- वह जेआरडी की उपलब्धि से अधिक है। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जेआरडी लाइसेंस राज से बंधे थे जबकि रतन उदारीकृत युग के तहत प्रदर्शन करने के लिए अपेक्षाकृत स्वतंत्र थे।'

    टाटा समूह के अंदरूनी सूत्र के इस आकलन ने रतन टाटा की अनूठी उपलब्धियों के बारे में बहुत कुछ कहा। ये बातें उस समय कही गई थीं जब रतन टाटा ने अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी और सायरस मिस्त्री को अध्यक्ष नामित किया गया था। उत्तराधिकार की यह कहानी जो अंतत: समूह के लिए, सायरस मिस्त्री के लिए और व्यक्तिगत रूप से रतन टाटा के लिए बहुत गलत साबित हुई। फिर भी रतन टाटा इस झटके से भी उभरे और समूह को लगातार स्थिर रखा। उन्होंने 2017 में समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स के अध्यक्ष के रूप में टीसीएस के तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एन चंद्रशेखरन को नियुक्त किया और खुद चेयरमैन एमेरिटस का पद संभाला।

    चंद्रशेखरन ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है- 'टाटा समूह के लिए श्री टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वे एक संरक्षक, मार्गदर्शक और दोस्त थे। वे उदाहरण बनकर प्रेरित करते थे। टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में उत्कृष्टता, सत्यनिष्ठा और नवाचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ अपनी नैतिकता के प्रति हमेशा सच्चे रहते हुए अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया।'
    चंद्रशेखरन का बयान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि आज के भारत में भी नैतिक दिशा को बनाए रखते हुए विकास की कहानी लिखी जा सकती है। अगर हम कुछ संदेह की गुंजाइश देते हैं तो जिस तरह से सायरस मिस्त्री को हटाया गया या राडिया टेप की कहानी ने टाटा समूह की ओर ध्यान आकर्षित किया था, तो भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि टाटा समूह मूल्यों के साथ रहने, ईमानदारी के साथ काम करने और इन सबसे ऊपर- सही जगह पर दिल से काम करने के लिए खड़ा है।

    टाटा समूह की सकल संपत्ति के किसी भी मूल्यांकन के लिए वित्तीय पंडित इस महत्वपूर्ण मुद्दे को जोड़ सकते हैं। टाटा समूह के मामले में इस तरह की अप्रत्यक्ष संपत्ति किसी बड़ी प्रत्यक्ष संपत्ति से अधिक हो सकती है। आज के समय में विशेष रूप से शासन के मुद्दों से चिह्नित वातावरण में इस कहानी को इतने लंबे समय तक बनाए रखना अपने आप में एक उपलब्धि है।

    कई साल पहले बॉम्बे हाउस में एक इन-कैमरा साक्षात्कार में उन्होंने इस लेखक से समूह के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में खुल कर कहा था-'हमारे सामने आने वाली चुनौतियां मूल रूप से एक बहुत अधिक खुले और कड़े प्रतिस्पर्धी बाजार की चुनौतियां हैं जो हमें अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का कारण बनेंगी। चुनौतियां तो लगातार बढ़ती रहेंगी लेकिन शेयरधारक मूल्य को बढ़ाने और कंपनी के सभी हितधारकों के प्रति निष्पक्ष होते हुए हमें अपने उन मूल्यों और परंपराओं को ब६नाए रखते हुए बढ़ना जारी रखना है जो हमारे पास हैं।'

    इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने पानी पिलाने के लिए कहा। एक वर्दी वाला कर्मचारी आया। टाटा उनकी ओर मुड़े और उससे कहा 'धन्यवाद' और फिर साक्षात्कार जारी रखा। यह कहा जा सकता है कि वे एक शालीन उद्योगपति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने वाले कुलीन व्यक्ति थे।
    (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। सिंडिकेट : द बिलियन प्रेस)

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